जानें दुनिया का पहला आवासीय विश्वविद्यालय और अनोखे तथ्य !
Nalanda University, एक ऐसा नाम है जो विश्व की प्राचीनतम और प्रसिद्ध educational institutions में से एक है। इसकी स्थापना 5वीं शताब्दी में गुप्त वंश के राजा कुमारगुप्त प्रथम ने की थी। Nalanda University का नाम नालंदा गाँव से आया है, जो बिहार में स्थित है।
नालंदा का इतिहास:
नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना 5वीं शताब्दी में गुप्त वंश के राजा कुमारगुप्त प्रथम ने की थी। यह बिहार के नालंदा गाँव में स्थित था और दुनिया का पहला आवासीय विश्वविद्यालय माना जाता है। यहाँ पर तिब्बत, चीन, कोरिया और मध्य एशिया से छात्र शिक्षा प्राप्त करने आते थे।
नालंदा में बौद्ध धर्म के साथ-साथ दर्शनशास्त्र, खगोलशास्त्र, गणित, आयुर्वेद और व्याकरण की पढ़ाई होती थी। यहाँ के शिक्षकों को आचार्य कहा जाता था। विश्वविद्यालय में अनेक पुस्तकालय थे, जिनमें लाखों पुस्तकों और पांडुलिपियों का संग्रह था। प्रमुख पुस्तकालयों में रत्नसागर, रत्नोदधि और रत्नरंजक शामिल थे।
12वीं शताब्दी में, तुर्की आक्रमणकारी बख्तियार खिलजी ने 1193 में नालंदा पर हमला किया और इसे नष्ट कर दिया। इस हमले में पुस्तकालयों में रखी लाखों किताबें और पांडुलिपियाँ जला दी गईं, जिससे इस महान विश्वविद्यालय का अंत हो गया।
शैक्षिक संरचना
Nalanda University में एक organized educational structure था। यहाँ पर विभिन्न subjects जैसे कि philosophy, astronomy, mathematics, medicine, और grammar पढ़ाई जाती थी। यहाँ के teachers को आचार्य कहा जाता था, जो कि अपने subjects में experts होते थे। छात्रों को बेहतर शिक्षा प्रदान करने के लिए यहाँ पर libraries और research centers भी थे।
Infrastructure (Nalanda University)
Nalanda University का infrastructure काफी impressive था। यहाँ पर कई बड़े-बड़े भवन थे, जिनमें classrooms, libraries, और hostels शामिल थे। Libraries में लाखों की संख्या में books और manuscripts थीं। यहाँ पर तीन बड़े libraries थीं, जिनका नाम था – Ratnasagar, Ratnodadhi, और Ratnaranjaka। इन libraries में ancient texts और handwritten manuscripts का collection था, जो कि students और scholars के लिए बहुत ही valuable था।
खिलजी ने नालंदा विश्वविद्यालय को क्यों जलाया?
बख्तियार खिलजी, एक तुर्की आक्रमणकारी, ने नालंदा विश्वविद्यालय को 1193 में जलाने का निर्णय लिया था। इस क्रूर हमले का मुख्य कारण नालंदा का बौद्ध धर्म से गहरा संबंध था। नालंदा विश्वविद्यालय, उस समय का प्रमुख बौद्ध शिक्षण केंद्र था, जहाँ बौद्ध धर्म के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण विषयों की पढ़ाई होती थी। खिलजी ने इस विश्वविद्यालय को निशाना बनाकर न केवल बौद्ध धर्म को कमजोर करने का प्रयास किया, बल्कि भारतीय शिक्षा और संस्कृति को भी क्षति पहुंचाई। उसने libraries में रखी लाखों किताबों और manuscripts को जला दिया, जिससे उस समय का अपार ज्ञान और जानकारी नष्ट हो गई। यह हमला नालंदा विश्वविद्यालय की प्राचीन समृद्धि को समाप्त कर गया और इसके साथ ही भारतीय शिक्षा प्रणाली को भी भारी नुकसान हुआ। खिलजी का यह कृत्य भारतीय शिक्षा के इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में याद किया जाता है।
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नालंदा विश्वविद्यालय का पुनरुद्धार: समय की यात्रा
19वीं शताब्दी में British archaeologists ने Nalanda University के ruins को rediscover किया। यहाँ पर excavation के दौरान कई महत्वपूर्ण artifacts और structures मिले, जो कि इस university की महानता को दर्शाते हैं। 21वीं शताब्दी में भारतीय सरकार ने Nalanda University को revive करने का निर्णय लिया और 2010 में Nalanda University Act पास किया गया। इसके बाद, 2014 में Nalanda University ने फिर से अपने दरवाजे खोले और नए students का स्वागत किया।
कौन सा पुराना है, नालंदा या तक्षशिला?
तक्षशिला विश्वविद्यालय नालंदा विश्वविद्यालय से पुराना है। तक्षशिला की स्थापना लगभग 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व में हुई थी, जबकि नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना 5वीं शताब्दी में गुप्त वंश के राजा कुमारगुप्त प्रथम ने की थी। तक्षशिला प्राचीन भारत के सबसे प्रमुख शिक्षण केंद्रों में से एक था और यहाँ पर विभिन्न विषयों की पढ़ाई होती थी। यह विश्वविद्यालय मुख्य रूप से बौद्ध शिक्षा का केंद्र था, लेकिन यहाँ पर वैदिक, आयुर्वेदिक, और अन्य विषयों की भी शिक्षा दी जाती थी।
Conclusion
Nalanda University की कहानी एक प्रेरणा है, जो हमें बताती है कि शिक्षा और ज्ञान का महत्व कितना अधिक है। यह university न केवल प्राचीन भारत का गौरव थी, बल्कि विश्व की educational history में भी इसका एक महत्वपूर्ण स्थान है। Nalanda University का revival यह दर्शाता है कि हमारी प्राचीन विरासत को हमें सहेज कर रखना चाहिए और आने वाली पीढ़ियों को इसका लाभ पहुँचाना चाहिए।
Nalanda University का इतिहास हमें यह सिखाता है कि चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ आएं, ज्ञान और शिक्षा का दीपक हमेशा जलता रहना चाहिए। इस university की विरासत हमें गर्व का अनुभव कराती है और यह हमारे लिए एक प्रेरणास्रोत है।
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